प्रगतिशील वसुधा का नया अंक 82 जारी हो गया है। इस अंक के आवरण पर प्रसिद्ध चित्रकार चित्तो प्रसाद का बनाया गया वो पोस्टर है, जो बिमल राय की महान फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ के लिए बनाया गया था। यह पोस्टर फिल्म के प्रचार के लिए इस्तेमाल नहीं हुआ। पाठकों को याद होगा कि वसुधा का पिछला अंक फिल्म विशेषांक था, जिसकी अब तक मांग हो रही है। इस अंक से हम वसुधा की चुनिंदा सामग्री क्रमश: ब्लाग पर उपलब्ध कराने की कोशिश करेंगे। जिस पोस्टर की हमने चर्चा की है, वह प्रकाशकीय और संपादकीय के साथ कल प्रकाशित करेंगे। सबसे पहले प्रस्तुत है, इस अंक में दी गई सामग्री का विवरण।
प्रकाशकीय : राजेंद्र शर्मा - 5
सम्पादकीय : और भी ग़म हैं ज़माने में: कमला प्रसाद - 7
श्रद्धांजलि स्मरण
सुदीप के न रहने पर: चंद्रकान्त देवताले- 14
प्यारे मामा: जावेद मलिक - 17
लिख बैठा मैं जन के पथ वाम: प्रकाश कान्त - 23
मेरा सलाम: इक़बाल मजीद - 29
मजदूरों के संगठित संघर्षों के अपराजित प्रतीक: विनीत तिवारी - 32
कुछ यादें: राजकुमार सैनी - 39
वे हमारे लिए एक सांस्कृतिक प्रतिरोध थे: विजय बहादुर सिंह - 44
एक औघड़ चिंतक और रचनाकार: हेतु भारद्वाज - 48
एक शब्द साधक का अवसान: कामिनी- 53
विशिष्ट कवि : कुंवरनारायण
सुगठित और अकाट्य जीवन विवेक: ओम निश्चल - 58
कुंवरनारायण की कविताएं - 61
वाजश्रवा के बहाने- एक सम्यक् जीवन- बोध की खोज: अवधेश प्रधान - 66
मेरी कविता कुछ कुछ मेरे स्वभाव की तरह है:
कवि कुंवरनारायण से ओम निश्चल की बातचीत - 73
दस्तावेजी व्याख्यान
जन-जीवन और साहित्य: श्रीपाद अमृत डाँगे - 96
लम्बी कविता : कबूलनामा- निशांत - 121
कहानियाँ
गुमने की जगह: कुमार अम्बुज - 136
गुल्लक: अरुण कुमार असफल – 144
बारिश, ठंड और वह: गजेन्द्र रावत - 171
गुम होते लोग: डॉ. नीरज वर्मा - 178
कविताएं
रमेश कुंतल मेघ - 155 मलय - 158 ज्ञानेन्द्रपति - 162 लाल्टू - 164
गोविंद माथुर - 166 मनोहर बाथम – 169 आलोक भट्टाचार्य - 204
उमाशंकर चौधरी - 205 संदीप पांडेय- 206
आलोक श्रीवास्तव - 208 कृष्ण शंकर -211 कुलदीप शर्मा - 212
साहित्यिकी
हिन्दी नवजागरण और उत्तरशती के विमर्श: चौथीराम यादव - 192
परसाई का पुनर्पाठ
शहर में अगर कहीं वफ़ा है...: वेद प्रकाश- 213
गज़़ल
डॉ. कुमार विनोद -223 राजेश रेड्डी- 224 जहीर कुरेशी - 225
बातचीत
'मार्क्सवाद का निषेध करने वाले-विज्ञान और यथार्थ का ही निषेध करते हैं’
वरिष्ठ कवि-आलोचक डॉ. खगेन्द्र ठाकुर से सत्येन्द्र पाण्डेय की बातचीत - 226
पड़ोस
पाकिस्तान से कुछ कविताएं- चयन: शहरयार - 238
चीन को देखकर, सुनकर और गुनकर: डॉ. ब्रजकुमार पाण्डेय- 242
सामयिकी
नवउदारवाद का चुनाव: ईश्वर दोस्त- 248
आकलन
अशेष ऊर्जा की कविता: प्रभात त्रिपाठी - 253
किताब चर्चा
परिंदों की लड़ाई बंद हो गई दरिंदों की लड़ाई जारी है: कृष्ण मोहन - 265
यह निरा आँसू नहीं कोई कठिन निष्कर्ष है: डॉ. वन्दना मिश्रा -278
कविता का विस्मय: विस्मय की कविता: परमानंद श्रीवास्तव - 283
कहन और भाषा का एक अनूठापन और एक कवि: लीलाधर मंडलोई - 287
दर्द का हद से गुज़रना: रमाकांत श्रीवास्तव - 289
हद से गुज़र जाना: राजकुमार - 292
चक्की में पिसता दलित समुदाय : क्रीमी लेयर से ऊपर और नीचे : कमल जैन - 299
होने का होना: संजय अलंग - 304
साम्राज्यवाद के सहारे नहीं होगी लड़ाई: अरुण कुमार - 306
वर्गीज कूरियन-अमूल: रास्ता है! : प्रेमपाल शर्मा – 311
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